महात्मा ज्योति राव गोविंद राव फुले जिन्हें की लोग प्यार से ज्योतिबा फुले भी बुलाते थे। यह महाराष्ट्र के उन समाज सुधारकों में से एक थे जिन्होंने पिछड़े और अछूतों तथा महिलाओं के उत्थान के लिए इतनी अधिक कार्य किए थे कि आज तक इनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। लेकिन दोस्तों आपका भी मन में या ख्याल आता होगा कि आखिर इन्होंने वह कौन-कौन से काम किए थे जिनके लिए आज भी हम ज्योतिबा फुले को याद करते हैं और उनका नाम इतने सम्मान से लेते हैं? तो दोस्तों यदि आपको महात्मा ज्योतिबा फुले के बारे में वह संपूर्ण जानकारियां चाहिए तो हमारी इस लेख से अंत तक बने रहिए।
महात्मा ज्योतिबा फुले कौन थे ?और उनका समाज में उनका योगदान
बात जब महिलाओं की शिक्षा की आती है तब महात्मा ज्योतिबा फुले का नाम भला कैसे कोई भूल सकता है? ज्योतिबा फुले भारत देश के महाराष्ट्र राज्य में एक समाज सुधारक, समाज शिक्षक, समाजसेवी, दार्शनिक व लेखक तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले ने समाज के लिए ऐसे अनेकों कार्य किए हैं जिसकी वजह से आज समाज का स्तर काफी हद तक ऊंचा उठा है।
हम बात उसे समय की आपसे करेंगे कि जब प्राचीन काल के बाद मुगलों का आक्रमण हुआ भारत पर तब महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए उनकी शिक्षा को रोकना पड़ा था और उन्हें बाल विवाह के लिए प्रोत्साहित करना पड़ा था जिससे कि वह मुगलों की नजर से बची रहे। और साथ ही साथ उन्हें चार दिवारीयों के बीच में ही रहने की आजादी दी गई थी। लेकिन मुगल शासन के अंत के बाद जब अंग्रेजों ने भारत पर अपना शासन किया तब तक स्त्रियों की दशा में बहुत हद तक सुधार किया जा सकता था क्योंकि अंग्रेजों की नजर बहुत हद तक भारत देश की स्त्रियों पर नहीं बल्कि यहां के धन पर थी। जिसे वे लौटकर इंग्लैंड लेकर जाते थे। लेकिन मुगल काल से चली आ रही वे तमाम सुरक्षाएँ जिसे की महिलाओं और स्त्रियों को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया था वे अब भारत में एक भयंकर प्रथा का रूप ले चुकी थी जोकि स्त्रियों के आगे बढ़ाने में बहुत ही ज्यादा बाधक होते थे। लेकिन इनसे मुक्ति पाना बेहद ही जरूरी हो चुका था क्योंकि स्त्रियों का शिक्षित होना यानी कि एक परिवार का शिक्षित होना माना जाता है। और बस इसी विचार को रखकर ज्योतिबा फुले ने तरह-तरह की नीतियां अपनाई और महिलाओं को सबसे पहले शिक्षित करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की। ज्योतिबा फुले ने बाल विवाह पर रोक लगाने की बहुत हद तक कोशिश की और विधवा विवाह का समर्थन भी किया। महात्मा ज्योतिबा फुले का मुख्य उद्देश्य था कि हर स्त्री को शिक्षित किया जाए और उसे समाज की तमाम को प्रथाओं से छुड़ाकर आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाए। क्योंकि वे जानते थे कि स्त्री शिक्षा ही देश को आगे ले जा सकता है।
महात्मा ज्योतिबा फुले का ध्यान जब स्त्रियों की ओर पूरी तरह से गया तब उन्हें स्त्रियों की यह दयनीय दशा देखकर इतना अधिक बुरा लगा था और भी इस बात को समझे कि आज की 19वीं सदी में भी महिलाओं की इतनी अधिक बुरी दशा है और इसी घटना से व्याकुल होकर उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को खुद ही शिक्षित किया और उन्हीं के माध्यम से स्त्रियों को शिक्षित करने का फैसला किया जिसके लिए उन्होंने सबसे पहले महाराष्ट्र के पुणे जिले में भारत देश में सबसे पहला महिला विद्यालय की स्थापना सन 1848 में की। जहाँ उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले सबसे पहले भारत की महिला अध्यापिका बनी थी,, और उन्हीं के माध्यम से अधिकतम महिलाओं को शिक्षित करने का फैसला लिया था ज्योतिबा फुले ने। तो दोस्तों इस तरह से हम समझ सकते हैं कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने स्त्रियों के उत्थान के लिए उसे समय में कितना अधिक संघर्ष किया होगा।
ज्योतिबा फुले का जन्म कहां हुआ था?और उनका परिवार
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म महाराष्ट्र राज्य के पूणे जिले में सन 1827 में 11 अप्रैल को हुआ था। महात्मा ज्योतिबा फुले के पिताजी का नाम गोविंद राधा और माता का नाम चिमणाबाई था। महात्मा ज्योतिबा फुले के परिवार में पिछली कई पीढियां से अपना भरण पोषण करने के लिए व्यवसाय के रूप में माली का काम अपना लिया था। उनका परिवार फूलों का व्यवसाय करता था जिसके लिए वह महाराष्ट्र के सतारा से पुणे में जाकर फूलों को बेचते थे तथा फूलों को अलग-अलग आकार में गजरे व माला भी बेचने का काम करते थे इसीलिए उनके परिवार को फूले नाम से लोग जानने लगे।
महात्मा ज्योतिबा फुले की शिक्षा
महात्मा ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के रहने वाले थे इसीलिए उन्होंने शुरुआती शिक्षा मराठी में ही ली थी लेकिन बाद में उनकी पढ़ाई किसी कारणवश छूट गई थी इसीलिए 21 वर्ष की उम्र में जाकर उन्होंने इंग्लिश में सातवीं कक्षा की पढ़ाई अपनी पूरी। इसके बाद उनकी शादी कर दी गई थी,, और उनकी शादी जिससे हुई यानी की सावित्रीबाई फुले भी एक समाजसेवी का थी तो दोनों पति-पत्नी ने मिलकर स्त्री शिक्षा और दलितों के उत्थान के लिए अपना संपूर्ण जीवन दे दिया।
महात्मा ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि क्यों दी गई थी?
महात्मा ज्योतिबा फुले ने समाज और स्त्रियों तथा दलितों के लिए यह स्वार्थ भाव से अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया, और उनका ऐसा करने के पीछे केवल यही उद्देश्य था कि समाज में स्त्रियों को भी शिक्षा का अधिकार मिल सके जिससे कि पुरुष और स्त्री के बीच जो भेद हैं वह खत्म हो सके। क्योंकि अगर हम समझे तो स्वतंत्रता का अधिकार हर किसी को दिया गया है फिर पिछड़ा वर्ग दलित वर्ग या स्त्रियों को पीछे रहने के लिए क्यों हर बार दबाव डाला जाता है? बस इसी भावना को खत्म करने के लिए उन्होंने पहली महिला विद्यालय की स्थापना पूणे जिले में सन 1848 में की। जहां इन्हें दबाव बनाते हुए कई बार परेशान किया गया कि वह अपना यह स्कूल बंद कर दें जिसकी वजह से ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले दोनों पति-पत्नी को उनके घर से भी निकाल दिया गया था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक ही नहीं बल्कि तीन महिला स्कूलों की स्थापना इन्होंने की और साथ ही साथ निर्धन और पिछड़े व गरीब वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना सन 1873 में की और फिर एकेश्वर बाद में विश्वास करते हुए इन्होंने प्रार्थना समाज की स्थापना की।ज्योतिबा फुले के इसी निस्वार्थ भाव और परोपकार की भावना को देखते हुए उन्हें “ महात्मा,, की उपाधि दी गई।
महात्मा ज्योतिबा फुले का विवाह किस हुआ था?
दोस्तों हम आपको बता दें कि महात्मा ज्योतिबा फुले का विवाह सन 1840 में सावित्रीबाई फुले से हुआ था जो की एक महान आंदोलनकारी भी थीं। इन दोनों ही लोगों का समाज में शिक्षा के लिए बहुत अधिक योगदान है। सावित्रीबाई फुले भारत देश की प्रथम महिला अध्यापिका के रूप में भी जानी जाती है जिन्होंने निशुल्क महिलाओं को शिक्षित करने के लिए अपना पूरा जीवन महिलाओं के लिए समर्पित कर दिया। ताकि हर महिला शिक्षित हो सके और वह अपने अधिकार को समझ सके।
महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्मदिन सन 1827 में 11 अप्रैल को हुआ था। तो इसीलिए 11 अप्रैल को ही महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती हर वर्ष मनाई जाती है। आ चुकी महात्मा ज्योतिबा फुले ने महिलाओं की शिक्षा और उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए समाज में अनगिनत अपने सहयोग दिए थे इसी के उपलक्ष में उन्हें याद रखने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती मनाई जाती है। महात्मा ज्योतिबा फुले के प्रयासों के कारण ही आज हर महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिल पाया है।
महात्मा ज्योतिबा फूलेजन आरोग्य योजना क्या है?
महात्मा ज्योतिबा फूले जन आरोग्य एक ऐसी योजना है जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य के लगभग 14 ऐसे जिले आते हैं जिनमें आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों को लगभग 1034 ऐसे महंगे ऑपरेशन को निशुल्क सरकार द्वारा करवाने का निर्णय लिया गया है जिसके लिए आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोग सक्षम नहीं हो पाते हैं। जैसे में किडनी ट्रांसप्लांट करना, प्लास्टिक सर्जरी जैसे अनेकों बड़ी और खर्चीली ऑपरेशंस की जिम्मेदारी इस योजना के अंतर्गत सरकार लेती है।
भारत में बालिका शिक्षा के लिए पहले विद्यालय किसने खोला था?
भारत में बालिकाओं व महिलाओं की शिक्षा के लिए भारत देश के सबसे पहले स्कूल महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में सन 1848 में महात्मा ज्योतिबा फुले द्वारा खोला गया था। जहां उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले पहली महिला अध्यापिका के रूप में कार्यरत हुई थी। जिन्होंने निशुल्क शिक्षा द्वारा महिलाओं को शिक्षित करने का फैसला किया था।
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Shweta Pandey
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