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अपनी किताब कैसे प्रकाशित करें – किताब छपवाने की पूरी प्रक्रिया

भारत में किताब का प्रकाशन

भारत में प्राचीन समय से ही किताबें लिखने का चलन रहा है। जो भी लोग अपनें ज्ञान को या अपनी समझ को और अपने अनुभव को दूसरों के साथ बांटना चाहते हैं तथा पीढ़ी दर पीढ़ी उस ज्ञान को देना चाहते हैं इसके लिए वे किताबों का सहारा लेते हैं। जहां वें अपने ज्ञान को किसी किताब में लिखकर उसे प्रकाशित करवा कर लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं जिससे कि वह ज्ञान दूसरों तक सहजता से पहुंच जाए। लेकिन वर्तमान समय में जितने भी लेखक हैं उनके मन में यह प्रश्न आता है कि यदि उन्हें किताब प्रकाशित करवानी है तो वह अपनी किताब कहां से प्रकाशित करवाएं ? अपनी किताब कैसे प्रकाशित करें ? किताब छपवाने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है?

एक किताब लिखे जाने के बाद बहुत सारे ऐसे प्रकाशक होते हैं जो हमें तरह-तरह के लुभावने ऑफर्स देकर बहलाने की कोशिश करते हैं लेकिन उनमें से सही प्रकाशक कौन है यह पहचान पाना मुश्किल होता है।और यदि किताब प्रकाशित करवानी है तो उसके सारे स्टेप्स क्या-क्या होते हैं और उनका उपयोग किस तरह से किया जाता है? यह जानना भी बेहद जरूरी होता है तो दोस्तों आज हम अपने इस लेख में आपको आपकी किताब प्रकाशित करवाने के कुछ सामान्य से और  बेहद ही सरल उपाय को बताएंगे इसके लिए आप हमारे लेख को पूरा पढ़िए।

apni book publish kaise karen

अपनी किताब प्रकाशित कैसे करें? – How to Publish a Book

अपनी किताब को प्रकाशित करने के लिए आपको किताब प्रकाशित करवाने से पहले मुख्य कुछ पहलुओं पर ध्यान देना होगा जो कि आपके किताबों से संबंधित होते हैं।

1. अपनी किताब लिखे

किताब प्रकाशित करवाने के लिए आपको सबसे पहले एक किताब लिखने की आवश्यकता होती है। और ध्यान रहे कि यह किताब यदि आपके द्वारा लिखी जाएगी तो यह ज्यादा अच्छा होगा। जहां आप अपने अनुभव को बेहद ही बारीकियों से किताब में साझा करते हैं। औऱ उस घटना के हर पहलू को अच्छे से लिखने में सफल हो पाते हैं । इन सभी बातों का ध्यान देते हुए आप अपनी एक अच्छी सी किताब तैयार कीजिए लिखकर। इसके बाद आपकी किताब प्रकाशित होने के लिए तैयार होती है।

2. संपादित करें और संशोधित करें

जब एक बार आपकी किताब लिखकर तैयार हो जाती है उसके बाद उसमें कोई त्रुटि तो नहीं। क्या जिस भाषा में आपने लिखा है यह भाषा एकदम सटीक तो है? इन सभी बातों को ध्यान देना बेहद ही जरूरी होता है। इसके लिए आपको प्रूफ्ररीडर की आवश्यकता होती है यह काम आप खुद भी कर सकते हैं। किताब में मात्राओं की गलती, शब्दों का छूट जाना इन सभी बातों का ध्यान देकर आपको अपनी किताब को edit करना चाहिए। और दो से तीन बार किताब को ध्यान से पढ़ें जिसमें से की हर प्रकार की गलतियों को छांटकर बाहर निकाला जा सके।

3. कवर और इंटीरियर डिजाइनिंग पर ध्यान दें

आपको अपनी किताब प्रकाशित करवाने से पहले अपनी किताब का कवर और इंटीरियर डिजाइनिंग पर आपको विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि आपकी किताब का इंटीरियर डिजाइनिंग और किताब के बाहर का कवर आकर्षण का केंद्र बनते हैं। जहां लोग कुछ पढ़ने से पहले आपकी किताब के ऊपरी कवर को देखकर के ही आकर्षित हो जाते हैं और उन्हें वह किताब पढ़ने का मन करता है। इस विषय पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप यदि चाहे तो किसी इंटीरियर डिजाइनिंग करने वाले एक्सपर्ट को हायर कर सकते हैं, या खुद भी किसी अच्छे apps के माध्यम से अपने किताब के कवर  को और उसके इंटीरियर डिजाइनिंग को  आकर्षक बना सकते हैं।

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4. ISBN औऱ कॉपीराइट

अपनी किताब को प्रकाशित करवाने से पहले आपको अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मानक संख्या ISBN और कॉपीराइट का अधिकार ले लेना चाहिए। जिससे कि यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपकी किताब आपकी निजी किताब है किसी दूसरे की नहीं और इसीलिए आपकी किताब पर आपका कॉपीराइट है किसी दूसरे का नहीं। इस तरह से आप अपने कॉपीराइट के कानूनी अधिकार को प्राप्त करते हैं। आप भारतीय आईएसबीएन एजेंसी के माध्यम से ISBN number प्राप्त कर सकते हैं।और कॉपीराइट का पंजीकरण भारत के कॉपीराइट कार्यालय से किया जाता है जहां से आप अपने किताब का पंजीकरण करवा सकते हैं कॉपीराइट के लिए।यह दोनों काम करवाना बहुत ही जरूरी होता है एक लेखक के लिए जब वह अपनी किताब प्रकाशित करवा रहा हों। जिससे कि उसके पास सभी कानूनी अधिकार और आवश्यक मंजूरी प्राप्त हो जाती है।

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5. प्रकाशन का चयन करें – Select your publisher

सबसे अंत में आपको यह तय करना होगा कि आप भारत में अपनी किताब कहां से प्रकाशित करवाना चाहते हैं? क्योंकि भारत में प्रशासन के बहुत सारे प्रकार हैं जिनमें पारंपरिक प्रकाशन (traditional publishing), स्व- प्रकाशन (self publishing in India), मुफ्त प्रकाशन (Free or DIY book publishing)और हाईब्रिड या भागीदारी वाले प्रकाशन (hybrid publishers in India) सहित बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं। भारत में पारंपरिक प्रशासन में एक अच्छा और सम्मानित प्रकाशन केंद्र ढूंढना भी शामिल है जो रॉयल्टी के 1% के बदले आपको आपकी किताब के संपादन,डिजाइनिंग,प्रिंटिंग,मार्केटिंग और किताबों को डिस्ट्रीब्यूशन करने का भी प्रबंध करता है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ स्व-प्रकाशन में आपको आपकी किताब को प्रकाशित करने में सबसे अधिक नियंत्रण रखने की अनुमति देता है। यहाँ आपको अपनी किताब को संपादन के लिए खुद ही प्रचार प्रसार करना पड़ता है,किताब की एडिटिंग की प्रक्रिया भी आपको ही करनी पड़ती है तथा और भी ऐसे बहुत सारे काम होते हैं जिनकी जिम्मेदारियां आपको ही संभालती पड़ती है। और तीसरी  हाइब्रीड या भागीदारी वाला प्रकाशन पारंपरिक प्रशासन और स्व प्रशासन दोनों का ही मिश्रण रूप होता है। जहां आपको आपकी किताब प्रकाशन की भागीदारी की विशेषज्ञ और संसाधनों के लाभ को उठाते हुए प्रशासन प्रक्रिया पर अधिक नियंत्रण रखने का भी अधिकार दिया जाता है।

6. किताब का प्रचार प्रसार – Book marketing and promotion

एक बार किताब प्रकाशित हो जाने के बाद आपको अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए अपनी किताब का विपणन यानी की प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता होती है। जिसके माध्यम से आपकी किताब को पढ़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है और लोग यह जानते हैं कि आपने कोई किताब प्रकाशित करवाई है। इसके लिए आप सोशल मीडिया, प्रमोशन बुक लॉन्च, बुक टूर और ऑनलाइन विज्ञापन या एड का सहारा ले सकते हैं। यह सभी प्लेटफार्म आपकी किताब का प्रचार करने के लिए सबसे सही जगह साबित हो सकते हैं। किताब प्रकाशित करवाने के बाद में सबसे जरूरी यही स्टेप होता है क्योंकि इसी के माध्यम से आपके लक्षित दर्शक यानी कि आपका पाठक जो कि आपकी किताब पढ़ेंगे या खरीदेंगे वह आपके किताब के बारे में जानते हैं।

यदि आपने नई-नई किताब प्रकाशित करवाई है तब आपको अपनी किताब का प्रचार करने की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि तब तक आपके बारे में लोग नहीं जानते हैं। लेकिन यदि आप पेशेवर लेखक हैं तो लोगों को आपकी किताब का इंतजार रहेगा।जिसके लिए आपको अपनी किताब का प्रचार करना जरूरी हो जाएगा।

7. किताब की रॉयल्टी

आपकी किताब की रॉयल्टी क्या होगी और कितनी रहेगी इस बात को आप प्रकाशक से किताब प्रकाशित करवाने से पहले ही तय कर लीजिए। क्योंकि एक बार किताब प्रकाशित हो जाने के बाद यदि ऐसा कोई भी मुद्दा उठता है रॉयल्टी के बारे में या उसके किसी अन्य अधिकार के बारे में या एग्रीमेंट के बारे में तो यहाँ लेखक की ही हानि होती है प्रकाशक को इसमें कोई ज्यादा नुकसान नहीं होता है।

8. किताब प्रकाशित करवाने से पहले सभी एग्रीमेंट ध्यान से पढ़ें

किताब प्रकाशित करवाने से पहले आपको जितनी भी जानकारी है किताब प्रकाशित करवाने के संबंध में उन सभी एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़िए और बिना पढ़े किसी भी एग्रीमेंट को साइन मत कीजिए। किताब से संबंधित जितने भी अधिकार है उन्हें अपने हाथ में रखवाइए जिससे कि भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना आपको ना करना पड़े।

9. किताब प्रकाशित होने के बाद पाठकों के विचार को स्वीकार करें

किताब प्रकाशित हो जाने के बाद पाठक जो भी रिव्यू दे आपकी किताब के बारे में या जो भी विचार रखें आपकी किताब के बारे में उसे सर माथे रखिए क्योंकि आपके पाठक ही तय करते हैं कि आपने अपनी किताब किस स्तर की लिखी है। इसके बाद यदि कोई कमी रह गई है तो आप अपने अगली किताब में उन सभी कमीयों को सुधारने की कोशिश कीजिए। पाठक किसी भी लेखक के लिए बहुत ही मुख्य भूमिका निभाते हैं क्योंकि हर लेखक तो यही समझता है कि उसने बहुत अच्छा लिखा है लेकिन उसने लिखा क्या है इस बात का अंदाजा सही-सही पाठक ही लगाते हैं।

तो दोस्तों हमें आशा है कि आपको किताब प्रकाशित करवाने की सभी प्रक्रियाएं हमारे इस लेख में मिली है ऐसे ही और जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे दूसरे आर्टिकल्स को पढ़ सकते हैं।

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