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भारत में साहित्यिक पुरस्कार – Literary Awards in India

भारत में साहित्यिक पुरस्कार

भारतीय  साहित्य एक व्यापक विषय है। जहां अनेकों लेखक वह लेखिकाओं ने अपना सहयोग दिया है इसके विस्तार में। हिंदी भाषा भारत में जान भाषा के नाम से भी जानी जाती है। लेकिन भारतीय साहित्य में अपना योगदान देने वाले उन महान लेखक व लेखिकाओं को विभिन्न प्रकार के पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया है। आइये हम चर्चा करते हैं भारत में साहित्यिक पुरस्कार के विषय में। दोस्तों आपके मन में भी यह इच्छा जागृत होती होगी की भारतीय साहित्य में कुल कितने प्रकार की पुरस्कार दिए जाते हैं? तो हम आपको बता दें कि भारतीय साहित्य में मुख्यतः पांच प्रकार के पुरस्कार दिए जाते हैं इसके बारे में हमने आपको नीचे बताया है।

भारत में साहित्यिक पुरस्कार के प्रकार (Types of Awards in Indian Literature)

1. ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award)

ज्ञानपीठ पुरस्कार एक ऐसा पुरस्कार है जो भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक है। भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताए गए 22 भाषाओं में से किसी भी एक भाषा पर कोई भी भारतीय नागरिक यदि कोई रचना, लेख, उपन्यास लिखता है तो वह इस पुरस्कार के योग्य होता है। इस पुरस्कार की शुरुआत सन 1965 में हुई थी। ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 22 मई सन 1961 को श्री साहू शांति प्रसाद जैन द्वारा किया गया था। तब इस पुरस्कार के लिए ₹100000 की राशि लेखक को दी जाती थी। जिसे सन 2005 में बढ़कर ₹700000 कर दिया गया।  और आज वर्तमान समय में इस पुरस्कार के लिए 11 लख रुपए की धनराशि, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की काँस्य प्रतिमा पुरस्कार के तौर पर लेखक को दी जाती है। जब सन 1965 में इस पुरस्कार को प्रथम बार शुरू किया गया तब इसके पहले लेखक श्री शंकर कुरुप को चुना गया था जो की मलयालम भाषा के लेखक थे। जिन्हें ₹100000 और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया था। इसके बाद सन 2005 में जब ₹700000 की धनराशि इस पुरस्कार के लिए दी जाने लगी तब पहले साहित्यकार कुंवर नारायण थे जो की हिंदी भाषा के लिए लिखते थे।

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 सन 1982 तक ज्ञानपीठ पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए ही दिया जाता था लेकिन सन 1982 के बाद भारतीय साहित्य के लिए संपूर्ण योगदान देने वाले हर लेखक को इस ज्ञानपीठ पुरस्कार के योग्य माना गया।

वेबसाइट: https://www.samanyagyan.com/

2.साहित्य अकादमी पुरस्कार (Sahitya Akademi Award)

साहित्य अकादमी पुरस्कार की स्थापना सन 1958 को हुई थी जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष हर भारतीय भाषाओं की सबसे श्रेष्ठ कृतियों को यह पुरस्कार दिया जाता है। जिसके अंतर्गत सन 1982 तक ₹5000 की नगद राशि पुरस्कार के तौर पर दी जाती थी लेकिन सन 1993 में यह धनराशि बढाकर ₹10000 कर दी गई और सन 1998 में यह धनराशि बढ़ाकर 25000 और सन 2001 से यह धनराशि ₹40000 कर दी गई और फिलहाल साहित्य अकादमी पुरस्कार धनराशि ₹100000 की नगद राशि और एक ताम्रपत्र दिया जाता है पुरस्कार के तौर पर। साहित्य अकादमी पुरस्कार उन विजेताओं को दिया जाता है जो भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में भारतीय 22 भाषाओं के साथ ही साथ अंग्रेजी भाषा औऱ राजस्थानी भाषा में भी किसी लेखन में उत्कृष्ट रचना के लिए दिया जाता है। साहित्य अकादमी पुरस्कार के अंतर्गत बहुत सारे प्रकार के रचना लिखने वाले लेखकों कों को यह पुरस्कार दिया जाता है जैसे में-

  •  साहित्य अकादमी फैलोशिप
  •  अनुवाद पुरस्कार विजेता
  •  बाल साहित्य पुरस्कार विजेता
  •  युवा पुरस्कार विजेता
  •  भाषा सम्मान पुरस्कार
  •  प्रेमचंद फैलोशिप पुरस्कार
  •  आनंद कुमार स्वामी फैलोशिप पुरस्कार

वेबसाइट: Akademi Awards

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3.व्यास सम्मान पुरस्कार (Vyas Samman Award)

व्यास सम्मान पुरस्कार भारतीय साहित्य में ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद दूसरा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान पुरस्कार माना जाता है। जिसे सन 1991 में K.K बिरला फाउंडेशन के द्वारा शुरू किया गया था। व्यास सम्मान पुरस्कार सन 1991 में सर्वप्रथम रामविलास शर्मा की  ‘’कृति भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी,, के लिए दिया गया था।  इस सम्मान के लिए ₹400000 की नगद राशि और एक प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह पुरस्कार के तौर पर दी जाती है। यह पुरस्कार एक ऐसा पुरस्कार है जिसे किसी साल न दिए जाने का भी प्रावधान है मतलब कि यदि इस पुरस्कार के योग्य कोई लेखक नहीं है तो उस वर्ष यह पुरस्कार नहीं दिया जाएगा। व्यास सम्मान पुरस्कार के अंतर्गत साहित्यकार को केंद्र में न रखकर उसकी रचनाओं को  व साहित्यिक कृति को केंद्र में रखकर यह पुरस्कार दिया जाता है। पिछले 10 वर्षों 2022 में केवल एक ही लेखक ज्ञान चतुर्वेदी जी द्वारा लिखित उपन्यास  “पागलखाना, को 32 वें व्यास सम्मान के लिए चुना गया था। इस योजना के अंतर्गत आत्मकथा, ललित निबंध, समीक्षा, आलोचना, साहित्य और भाषा का इतिहास आदि पुस्तकों पर विचार किया जाता है व ऐसे लेखकों को यह पुरस्कार दिया जाता है।

4.भारत भारतीय पुरस्कार (India Indian Awards)

भारत भारतीय पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सबसे बड़ा साहित्यिक पुरस्कार है। जिसकी शुरुआत सन 1982 में की गई थी। इस पुरस्कार की शुरुआत उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ के माध्यम से साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले रचनाकारों व लेखकों को दिया जाता है। इस पुरस्कार की प्रथम विजेता आदरणीय महादेवी वर्मा जी थी जिन्हें  सन 1982 में यह पुरस्कार दिया गया था। भारत भारतीय पुरस्कार के लिए लेखन व रचनाकारों को ₹500000 की धनराशि व  भारत भारतीय सम्मान पत्र दिया जाता है। भारत भारतीय पुरस्कार की अंतिम विजेता सन 2020 में सूर्यबाला थीं।

5.मूर्ति देवी पुरस्कार (Murti Devi Award)

मूर्ति देवी पुरस्कार साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है। इसकी स्थापना सन 1961 में की गई थी। भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में आने वाले हर भाषा पर लिखे जाने वाले साहित्यिक पुस्तकों के लिए उनके रचनाकारों को यह पुरस्कार दिया जाता है। जिसके तहत ₹400000 और सरस्वती देवी की प्रतिमा व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार के अंतर्गत आता है। क्योंकि मूर्ति देवी पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ समिति द्वारा ही दिया जाने वाला प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान है। इसकी स्थापना श्री साहू शांति प्रसाद जैन तथा श्रीमती रमा जैन द्वारा किया गया था।

वेबसाइट: https://www.culturopedia.com/moortidevi-award/

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मूर्ति देवी पुरस्कार के प्रथम विजेता सी.के नागाराव थे जिन्होंने कन्नड़ भाषा में एक काव्य संग्रह लिखा था। उन्हें उनके इस पुस्तक के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार दिया गया था।

भारत में साहित्यिक पुरस्कार क्यों दिया जाता है?

भारत में साहित्यिक पुरस्कार के लिए अपना नाम नामांकित करवाने हेतु सबसे पहले आपको मान्यता प्राप्त 24 भाषाओं में किसी भी एक भाषा में सबसे अच्छी और उसे साल की अनोखी कृति लिखनी होती है। जिससे कि आपकी रचना और कृतियों के बल पर आपको उसे साल के सबसे अच्छे यानी की सर्वोत्तम लेखक या रचनाकार के रूप में साहित्यिक पुरस्कार देने का निर्णय लिया जाता है। साहित्यिक पुरस्कार देने का सबसे बड़ा कार्य होता है कि लेखकों को उनके काम के लिए सराहा जा सके और आगे भी इसी प्रकार की अच्छी-अच्छी रचनाएं या कृतियां लिखा इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। और इसीलिए उन्हें पुरस्कार हेतु लाख से ₹200000 और शॉल तथा एक पहचान पत्र जिस पर साहित्यिक पुरस्कार लिखा होता है दिया जाता है।

भारत में साहित्यिक पुरस्कार के लिए अपना नाम नामांकित करवाने के लिए क्या करना पड़ता है?

 भारत में साहित्यिक पुरस्कार के लिए अपना नाम नामांकित करवाने के लिए आपको सबसे पहले अपनी खुद की कृति लिखनी होती है जो कि उसे साल की बेस्ट रचनाओं में से एक होती है,  जो की एक किताब के रूप में प्रकाशित होती है जिसे लोग पढ़ कर अपना अपना मत देते हैं और उसे साल के सबसे अच्छे रचना में से उस किताब को चुनते हैं,। और सबसे ध्यान देने योग्य बात यह है कि आप द्वारा लिखी गई कृति 24 मान्यता प्राप्त भाषाओं में से किन्हीं एक में से ही लिखी जानी होनी चाहिए। अन्यथा आपकी किताब को साहित्यिक पुरस्कार की लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है।

भारत में साहित्यिक पुरस्कार के लिए अपना नाम नामांकन कब करवा सकते हैं?

भारत में साहित्यिक पुरस्कार के लिए अपना नाम नामांकित करवाने के लिए आप साल के 12 महीने यह कार्य कर सकते हैं। साहित्यिक पुरस्कार के लिए कोई निश्चित तिथि नहीं रखी जाती है जितनी भी कृतियां अच्छी होती हैं उन्हें एक लिस्ट में रखा जाता है और साल के अंत में उन्हें  चुनकर किसी एक किताब को रखा जाता है और उसके लेखक को साहित्यिक पुरस्कार प्रोत्साहन हेतु दिया जाता है।

तो दोस्तों हमें आशा है की साहित्यिक पुरस्कारों से संबंधित आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी ऐसे ही और आर्टिकल्स को पढ़ने के लिए आप हमारे वेबसाइट को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

This Post Has 5 Comments

  1. अनुपम मेश्राम

    सर जी नमस्ते मुझे एक जानकारी चाहिए आपसे जितने भी साहित्यिक पुरुषस्कार होते है उनकी नामांकन की तारीख और योग्यता क्या है मुझे मिल जाये मेल पर बड़ी कृपा होगी आपकी मुझपर यह अपना मोबाइल नंबर और मेल आईडी दे रहा हु मै
    8108229102
    anupammeshram1@gmail. com

    1. Sahitya1234@

      जो भी लोग मान्यता प्राप्त २४ भाषाओँ में अपनी कृति लिखते हैं जो की उस साल का सबसे बेस्ट हो उनको प्रोस्ताहन देने के लिए दिया जाता है जिसके लिए किया जाता है जिसमे नामांकन के लिए बारहो महीने नामांकन होता है |

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