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गोस्वामी तुलसीदास का संपूर्ण जीवन परिचय

गोस्वामी तुलसीदास का संपूर्ण जीवन परिचय

गोस्वामी तुलसीदास के नाम से भला कौन नहीं परिचित होगा। तुलसीदास जी के बारे में हमेशा तरह-तरह के प्रश्न उठाते आए हैं और एग्जाम में भी इनके बारे में पूछा जाता है तो दोस्तों हम आप सभी को अपने इस लेख में तुलसीदास जी के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं इसके लिए आप हमारे साथ अंत तक बन रहें।

तुलसीदास कौन थे?

तुलसीदास भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक माने जाते हैं जिनकी रचना ने उन्हें हिंदू धर्म का बहुत बड़ा नायक माना वह उन्हें भगवान की उपाधि दे दी गई। गोस्वामी तुलसीदास केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी रचना श्री रामचरितमानस से प्रसिद्ध हैं। अन्य कवियों वाले लेखकों का मानना है कि तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस में जो भी रचनाओं की गई है वह न केवल दोहे हैं बल्कि वह मंत्र के रूप में काम करते हैं। कई लोगों का मानना है कि भगवान तुलसीदास जी को कई बार हनुमान जी ने दर्शन भी दिए हैं।

गोस्वामी तुलसीदास हिंदू धर्म के एक महान कवि संत और दार्शनिक माने जाते हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के बल पर पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त की।

श्री रामचरितमानस के रचयिता कौन हैं?

प्रिय दोस्तों हम सभी के मन में हमेशा यह प्रश्न होता है कि आखिर थिस श्री रामचरितमानस को लेकर हर बार विवाद शुरू हो जाता है तो उसके रचयिता कौन हैं?  और उन्होंने यह रचना किस तरीके से लिखी है?

तो दोस्तों हम आपको बता दे की श्रीरामचरितमानस के रचयिता भगवान श्री तुलसीदास जी थे।वें थे तो एक मानव लेकिन श्री रामचरितमानस की रचना के बाद उन्हें हिंदू धर्म में भगवान की उपाधि तक दे दी गई। और उनके श्री रामचरितमानस रचना को धार्मिक ग्रंथ का नाम दिया गया। जिसके हर एक दोहे और पद को मंत्र के रूप में पढ़ा जाता है। तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस को भगवान वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण जो की संस्कृत में लिखी गई है को अवधी भाषा में श्री रामचरितमानस के रूप में लिखा है। श्री रामचरितमानस पूरे विश्व में 46 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्य में से एक माना जाता है।

तुलसीदास का जीवन परिचय

तुलसीदास जी के जन्म को लेकर बहुत सारे विवाद है लेकिन एक दोहे से माना जाता है कि तुलसीदास जी का जन्म सन 1554  माना जाता है,,, चुंकि इस बात पर भी प्रकाश डालना बहुत जरूरी है कि तुलसी दास जी मुगल शासक अकबर के शासनकाल के रहे हैं ऐसा माना जाता है। इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर शहर में हुआ था ऐसा माना जाता है। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे था और माता का नाम हुलसी देवी था। तुलसीदास के बचपन का नाम राम बोला था क्योंकि ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास जी सामान्य बच्चों से अधिक ज्यादा समय के बाद पैदा हुए थे यानी कि लगभग 10 महीने पूरे करके 11 महीने में यह पैदा हुए थे और इन्होंने जब बोलना शुरू किया तो सबसे पहला नाम राम का ही लिया था इसीलिए इन्हें बचपन से ही राम बोल नाम से पुकारा जाने लगा। और साथ ही साथ यह भी कहानी बहुत अधिक प्रसिद्ध है कि जब तुलसीदास पैदा हुए थे तब उनके मुंह में 32 दांत पहले से ही मौजूद थे जिसकी वजह से हर जगह अफवाह फैल गई कि यह बच्चा राक्षसी प्रवृत्ति का हो सकता है इसीलिए उनके माता-पिता ने इनका त्याग कर दिया था जिसके बाद इन्हें उनके गुरु स्वामी नरहरी दास जी ने अपने पास रखा और उनका पालन पोषण किया। और इनका विवाह रत्नावली से संपन्न हुआ।

 रत्नावली से शादी तक यह केवल सामान्य इंसान थे लेकिन जब एक बार की घटना है कि उनकी पत्नी यानि कि रत्नावली अपने मायके गई हुई थी और तुलसीदास को अपनी पत्नी के प्रति इतना अधिक प्रेम उत्पन्न हो गया एकाएक की यह अपने घर से बहुत अधिक तूफान होते हुए भी निकल पड़े रत्नावली से मिलने के लिए रास्ते में नदी पड़ती थी उसे पार करने के लिए इन्होंने एक अमृत डे का सहारा लिया और उसे पर बैठकर नदी को पार करके अपनी पत्नी के घर के छत पर चढ़ने के लिए सर्प को पकड़ कर छत पर कूद गए,, इसके बाद रत्नावली के मायके में लोग उन्हें चिढ़ाने लगे इसकी वजह से रत्नावली को खुद पर बहुत गुलामी महसूस हुई और तभी उन्होंने तुलसीदास को धिक्कारते हुए कहा था कि

“अस्थि चर्म मय देह मम,तामे ऐसी प्रीत।

 तैसी जो श्री राम म: होत न तौ भयभीत।।

जिसके बाद तुलसीदास जी अपनी पत्नी को छोड़ के वह काशी चले गए।

 जहां उन्होंने गंगा के तीर पर साधना करना शुरू किया और भगवान हनुमान जी और श्री राम के प्रति उनके मन में ऐसी अद्भुत छवि उत्पन्न हुई कि उन्होंने श्रीरामचरितमानस को लिखना शुरू कर दिया। माना जाता है कि अपने इस रचना की वजह से कई बार काशी के अन्य पंडित तुलसीदास जी को बहुत अधिक सताते थे और उन्हें ऐसा दर समता था कि कहीं यह तुलसीदास हमसे आगे ना चले जाए जिसकी वजह से उनकी रचनाओं को फाड़कर गंगा में बहा दिया करते थे। लेकिन तुलसीदास जी ने फिर भी हार नहीं मानी और श्री रामचरितमानस को संपूर्ण तरीके से लिखा इसके बाद एक रात की बात है कि जब इन्होंने अपनी श्री रामचरितमानस को पूरा कर लिया था और राम भगवान के मंदिर में रख दिया तो जब सुबह हुई तो उसे पर श्री राम के हस्ताक्षर पाए गए थे ऐसा माना जाता है जिसके बाद उनकी अवहेलना करना और इन्हें नीचा दिखाना अन्य पंडितों ने बंद कर दिया था।

तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में कई महाकाव्य लिखे थे जो कि लगभग 12 है लेकिन उसमें से श्री रामचरितमानस अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।

ऐसा माना जाता है कि कई लोग को का कहना था कि काशी के एक घाट पर जहां लोग मरते हैं उसके बाद उन्हें सीधे नर्क में जाना पड़ता है तो तुलसीदास जी ने यह बात गलत साबित करने के लिए अंत समय में काशी के इस घाट पर जाकर बैठ और वहां पर अपने प्राण त्यागे थे। एक दोहे से माना जाता है कि तुलसीदास जी की मृत्यु कब हुई थी?

“संवत सोलह सौ असी, असी गंग के तीर।

 सावन शुक्ल सप्तमी, तुलसी ताज्यो शरीर।।

यानि कि तुलसीदास जी की मृत्यु संवत् 1680 में हुई थी और वह भी अस्सी घाट पर जहां पर करने के बाद लोगों को नर्क  प्राप्त होता है ऐसा लोगों का मानना था।

गोस्वामी तुलसीदास जी की रोचक कथा

गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन में बहुत सारी रोचक घटनाएं घटी है लेकिन उनमें से एक है कि जब अकबर को यह पता चला था कि काशी में एक बहुत बड़े विद्वान बैठे हुए हैं तो उनसे अपने बारे में लिखवाना चाहता था वह तो अकबर ने अपनी सिपाहियों को भेज कर तुलसीदास जी को अपने पास अपने दरबार में दिल्ली बुला लिया। लेकिन तुलसीदास जी को अकबर का यह व्यवहार बिल्कुल न भाया था इसके बाद अकबर के लाभ कहाँ पर भी तुलसीदास जी ने अकबर के बारे में नहीं लिखा उन्होंने कहा था कि मैं केवल राम जी के बारे में ही लिखता हूं। इसके बाद अकबर ने क्रोध में आकर तुलसीदास जी को जेल में बंद करवा दिया था। और उसी रात को एक घटना घटी की पूरे किले को बंदरों ने घेर लिया था और अकबर ने सपना देखा केक बड़ा बंदर अकबर को खूब जोर से एक थप्पड़ मारा जिसकी वजह से अकबर जाग गया। इसके बाद कई सिपाही आकर अकबर को बताएं कि पूरे किले को बंदरों ने घेर लिया है और काफी उपद्र मचा रहे हैं और यह सब तुलसीदास जी की वजह से हुआ है क्योंकि वह श्री राम के और हनुमान जी की बहुत बड़े भक्त हैं जल्दी से जल्द उन्हें रिहा किया जाए वरना यह बंदर और भी उपद्र मचा देंगे इसके बाद अकबर को तत्काल तुलसीदास जी को रिहा करना पड़ा था।

और पढ़ें: सारा खेल सत्ता का है – अयोध्या राम मंदिर पर लिखी गयी हिंदी कविता – श्वेता पाण्डेय

तुलसीदास का जन्म कहां और कब हुआ था?

तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में राजापुर नामक नगर में हुआ था। उनके जन्म को लेकर अधिक विवाद है लेकिन फिर भी माना जाता है कि उनका जन्म सन 1954 में हुआ था।

तुलसीदास के दोहे:

तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में अनगिनत दोहे,छंद,सवैया, लिखे हैं। दिन में से की बहुत सारे दोहे बहुत अधिक प्रसिद्ध है जो किस प्रकार से है कि –

१- “मंगल भवन अमंगल हारी,

द्रवहु सुदसरथ अजीर बिहारी।,,

२- “दुर्जन दर्पण सम सदा, करि देखौ हिय गौर।

      संमुख की गति और है, विमुख भये पर और।।

३- “तुलसी काया खेत है, मनसा भयौ किसान।

     पाप पुण्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लूनै निदान।।

तुलसीदास की रचनाएं

तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में कुल लगभग 12 काव्य लिखे हैं जो कि इस प्रकार से हैं:

  • श्री रामचरितमानस तुलसीदास जी की यह रचना सबसे अधिक महत्वपूर्ण और प्रमुख रचनाओं में से एक है जिसमें भगवान श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम जीवन को संपूर्ण रूप से बताया गया है।
  • जानकी मंगल जानकी मंगल रचना के अंदर श्री राम जी और माता सीता यानी की जानकी जी के विवाह के उत्सव का मधुर वर्णन सविस्तर किया गया है।
  • पार्वती मंगल इस काव्य के अंदर शिव जी और पार्वती माता के विवाह का बहुत ही अच्छा वर्णन मधुर तरीके से किया गया है।
  • रामाज्ञा प्रश्न इस काव्य खंड के अंदर भगवान राम जी के कथाओं के साथ ही साथ शुभ और अशुभ शगुना का वर्णन सविस्तार किया गया है जिसे लगभग 7 खंड में विभाजित किया गया है।
  • रामलाल नहछू इस काव्य खंड के अंदर लोकगीत जैसे की सहर शैली के इस ग्रंथ की रचना की गई है जिसमें राम जी के पैदा होने के बाद का वर्णन किया गया है।
  • कृष्ण गीतावली इस काव्य खंड के अंदर ब्रजभाषा में भगवान श्री कृष्ण के सुंदर रूप का वर्णन किया गया है।
  • गीतावली इस काव्य खंड के अंदर भगवान राम जी के चरित्र का वर्णन किया गया है।
  • कवितावली इस काव्य खंड के अंदर ब्रजभाषा में रचित श्रेष्ठ कृतियों जो की कविता सवैया मुक्तक काव्य आदि शैलियों का वर्णन किया गया है।
  • दोहावली इस काव्य खंड के अंदर तुलसी जी ने राम जी की महिमा का वर्णन किया है।
  • विनय पत्रिका तुलसीदास जी ने इस काव्य मैं भगवान श्री राम से कलयुग के विरुद्ध प्रार्थना की है।
  • हनुमान बाहुक
  • वैराग्य संदीपनी तुलसीदास जी ने अपनी इस रचना को तीन भागों में बनता है जिसमें की मंगलाचरण, संत महिमा वर्णन, और शांति भाव वर्णन को सविस्तार बताया है।

गोस्वामी तुलसीदास जी को हनुमान जी और राम जी ने दर्शन दिए थे?

एक दोहे से यह बात प्रमाणित होती है कि भगवान गोस्वामी तुलसीदास जी को श्री राम जी और हनुमान जी के दर्शन हुए थे-

 चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।

 तुलसीदास चंदन घिसें तिलक डेत रघुवीर।।

goswami tulsidas

यह घटना तब की है जब गोस्वामी तुलसीदास जी चित्रकूट में आश्रम बनकर रह रहे थे तभी एक दिन भगवान राम जी और लक्ष्मण जी सामान्य से दो राजकुमारों का भेष धरकर उनके सामने उपस्थित हुए लेकिन उस दिन तुलसीदास जी उन दोनों लोगों को नहीं पहचान पाए। लेकिन फिर जब दूसरे दिन दोनों राजकुमार तुलसीदास जी के समक्ष उपस्थित होते हैं तब तुलसीदास जी ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें अपने आश्रम में बुलाया। और तभी जब यह चंदन करने जा रहे थे तब भगवान श्री राम जी ने तुलसीदास जी के माथे पर तिलक किया जिसके बाद तुलसीदास जी  भक्ति भाव में इतनी अधिक लीन हो गए कि उन्हें भगवान के जाने का पता ही न चला। और भगवान अंतर ध्यान हो गए।

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