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झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर लिखी गयी हिंदी कविता

वैसे तो दोस्तों झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर बहुत सारी कविताएं लिखी गई है जिसे हमने सुना और पढ़ा होगा लेकिन सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई झांसी की रानी पर कविता सबसे अधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध मानी जाती है जो कि इस प्रकार से है –

1-सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा झाँसी की रानी की कविता (Jhansi ki rani poem in hindi) –

सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा झांसी की रानी पर लिखी गई कविता हमने अपने इस लेख में संपूर्ण रूप से लिखा है-

 सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

 बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,

 गुमी हुई आज़ादी की कीमत सब ने पहचानी थी,

 दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठानी थी।

 चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी,

 बुंदेली हर बोल के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

 कानपुर के नाना की मुंह बोली बहन छबीली थी,

 लक्ष्मी बाई नाम पिता की वह संतान अकेली थी,

 नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,

 बरछी, ढाल, कृपाल,कटारी उसकी यही सहेली थी।

 वीर शिवाजी की गाथाएं उसकी याद जबानी थी,

 बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

 लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,

 देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,

 नकली युद्ध व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,

 सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना यह थे उसके प्रिया खिलवाड़।

महाराष्ट्र कुलदेवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झांसी में,

ब्याह हुआ रानी बनाई लक्ष्मीबाई झांसी में,

राजमहल में बजी बधाई खुशियां छाई झांसी में,

सुघट बुंदेलों की विरुदावली सी वह आयी थी झांसी में।

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

उदित हुआ सौभाग्य मुदित महलों में उजियारी छाई,

किंतु कालगति चुपकेचुपके काली घटा घेर लाई,

तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,

रानी विधवा हुई हायविधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजा की रानी शोक समानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

बुझा दीप झांसी का तब डलहौज़ी मन में हर्रषाया,

राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,

फ़ौरन फौज़े भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,

लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झांसी आया।

 अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झांसी हुई बिरानी थी,

 बुंदेले हरबोलों के मुँह से हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासको की माया,

व्यापारी बन गया चाहता था जब यह भारत आया,

डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गई किया,

राजाओं नवाबो को भी उसने पैरों ठुकराया।

रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

 छीनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छिना बातों बात,

 कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,

उदतपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात?

ज़ब कि सिंध, पंजाब ब्रम्ह पर अभी हुआ था व्रजनिपात।

बंगाल, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

 रानी रोयी रनीवासो में, बेगम गम से थी बेजार,

 उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाजार,

 सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेजो के अखबार,

 नागपुर के जेवर लेलो लखनऊ के लों नौलखा हार।

यो परदे की इज्जत परदेसी के हाथ बिकानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

 कुटिया में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,

 वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभियान,

 नाना धुंधपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,

 बहन छबीली ने रणचंडी का कर दिया प्रकट आवाहन।

 हुआ यज्ञ प्रारंभ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

 महलों ने दी आग झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगायी थी,

 यह स्वतंत्रता की चिंगारी अंतरतम से आयी थी,

 झांसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटे छाई थी,

 मेरठ, कानपूर,पटना ने भारी धूम मचाई थी।

 जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

यह स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,

नाना, धुंधूपंत, तात्या,चतुर अजीमुल्ला सरनाम,

अहमद शाह मौलवी, ठाकुर कुंवर सिंह सैनिक अभिराम,

भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।

लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

 इनकी गाथा छोड़ चले हम झांसी के मैदानो में,

 जहां खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,

 लेफ्टिनेंट वाकर पहुंचा, आगे बढ़ा जवानों में,

 रानी ने तलवार खींच ली,हुआ द्वंद आसमानों में।

जख्मी होकर वाकर भागा उसे अजब हैरानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

 खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

रानी बढी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,

घोड़ा थककर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,

यमुना तट पर अंग्रेजों ने फिर खाई रानी से हार,

विजयी रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार।

अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

विजय मिली पर अंग्रेजों की फिर सेना घिर आई थी,

अब के जनरल स्मिथ सम्मुख था उसने मुंह की खाई थी,

काना और मंदरा सखियां रानी के संग आयी थीं,

युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।

पर पीछे ह्युरोज़ गया, हाय!घिरी अब रानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,

किंतु सामने नाला आया , था वह संकट विषम अपार,

घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था इतने में गए सवार,

रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार।

घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीरगति पानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,

मिला तेज से तेज, तेज कि वह सच्ची अधिकारी थी,

अभी उम्र कुल 23 की थी, मनुज नही अवतारी थी,

हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रतानारी थी।

दिखा गई पथ,सीखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।

जाओ रानी याद रखेंगे यें कृतज्ञ भारतवासी,

यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनाशी,

होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फांसी,

हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झांसी।

 तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमित निशानी थी,

बुंदेल हरबोलो के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।।

सुभद्रा कुमारी चौहान.

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की असली फोटो (Jhansi ki rani real photo)-

झांसी की रानी की असली फोटो आज तक कोई तय नहीं कर पाया है लेकिन एक समाचार पत्र में उनकी यह फोटो प्रकाशित की गई थी और यह दावा किया गया था कि झांसी की रानी की असली फोटो यही है।

 दोस्तों हमें आशा है कि आपने हमारे इस लेख में वे सभी जानकारियां प्राप्त की है जिसे आप जानना चाहते थे। ऐसी और जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे दूसरे लेखों को पढ़ सकते हैं।

और पढ़ें : माँ पर हिंदी कविता (Hindi Poetry on Mother)

This Post Has 2 Comments

  1. temp mail

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