दोस्तों कई बार लेखको के मन में यह सवाल आता है कि आखिरकार अगर एक लेखक अपनी किताब प्रकाशित करवाते हैं तो लेखकों को किताबों से कितनी रॉयल्टी मिलती है? और यह रॉयल्टी उन्हें किस प्रकार से मिलती है? और यह सवाल हर दूसरे लेखक का होता है।
इसीलिए दोस्तों आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको सविस्तार समझाने वाले हैं कि आखिर लेखक को उसके किताब की कितने प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है। लेकिन इससे पहले हम आपसे बात करेंगे कि भारत में पब्लिकेशन हाउस कितने प्रकार के होते हैं जिसमें कि लेखकों को उनके हिसाब से रॉयल्टी मिलती है।
पब्लिकेशन हाउस कितने प्रकार के होते हैं?
दोस्तों हम जानते हैं कि हमें अपनी किताब अगर सही तरीके से प्रकाशित करवानी है तो किसी न किसी पब्लिकेशन हाउस से जुड़ना पड़ता है लेकिन इससे पहले हमें यह जानकारी होनी चाहिए कि आखिरकार पब्लिकेशन हाउस कितने प्रकार के होते हैं? तो दोस्तों हम आपको बताते हैं कि भारत में या इंटरनेशनल लेवल पर भी पब्लिकेशन हाउस दो प्रकार के होते हैं-
- पारंपरिक प्रकाशन ( Traditional Publication House) – पारंपरिक प्रकाशन एक निःशुल्क प्रकाशन गृह होता है जहाँ पर लेखन से पैसे नहीं लिए जाते हैं लेकिन जल्दी यहाँ पर किताबें प्रकाशित हो भी नहीं पाती हैं। इसके लिए हमें किसी एजेंट का सहारा लेना पड़ता है।
- स्व प्रकाशन ( Self Publication House) – स्व प्रकाशन एक ऐसा पब्लिकेशन हाउस है जहाँ पर आपको पैसे देकर अपनी किताबों को प्रकाशित करवाने का मौका दिया जाता है लेकिन आपकी किताब से जितना भी लाभ प्राप्त होता है उसका पूरा लाभ सीधे लेखक को ही दिया जाता है। और साथ ही साथ यहाँ हर लेखक की किताबों को प्रकाशित करने का मौका दिया जाता है, जिसे 1 महीने के लगभग में किताब को प्रकाशित करके लेखक तक पहुँचा दिया जाता है।
भारत की प्रमुख पुस्तक प्रकाशन संस्थाएं (self publishing companies in India)
दोस्तों इन दोनों ही पब्लिकेशन हाउस में आपको रॉयल्टी अलग-अलग तरीके से और अलग-अलग प्रतिशत में दी जाती है। यदि आपको इसकी जानकारी नहीं होगी तो आपको आगे चलकर पछताना भी पड़ सकता है इसीलिए आपको अपनी किताब से कितने प्रतिशत रॉयल्टी मिलने वाली है इसका जवाब पहले ही ढूंढ लेना चाहिए। तो आइये नीचे बात करते हैं कि किस पब्लिकेशन हाउस में कितने प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है।
पारंपरिक प्रकाशन में कितने प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है? ( How much percentage of royalty is received in Traditional Publication House ?)
दोस्तों पारंपरिक प्रकाशन एक ऐसा प्रकाशन गृह होता है जहाँ पर आपको अपनी किताब प्रकाशित करवाने के लिए पैसे देने की आवश्यकता नहीं होती है और ना ही किसी पैकेज की डील की जाती है जिसके बाद आप अपने किताब को प्रकाशित करवाते हैं। और साथ ही साथ हम आपको बताते चले कि पारंपरिक प्रकाशन या ट्रेडिशनल पब्लिकेशन हाउस में हर किसी लेखक की किताब को प्रकाशित भी नहीं किया जाता है,, और यदि किसी लेखक को प्रकाशित करने के लिए यह प्रकाशन गृह तैयार भी होता है तो उसे एक लंबे अरसे का इंतजार करना पड़ता है। पारंपरिक प्रकाशन में लेखकों को अपने किताब पर 10% या 15% की रॉयल्टी दी जाती है। बाकी के बचे पैसे पब्लिकेशन हाउस के पास जाते हैं।
स्व प्रकाशन गृह में कितने प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है? (How much percentage of royalty is received in Self Publication House)
सेल्फ पब्लिकेशन हाउस में एक लेखक को कई सारी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जो कि उसे पारंपरिक प्रकाशन में नहीं मिल पाती है। सेल्फ पब्लिकेशन हाउस में हर एक लेखक को अपनी किताब प्रकाशित करवाने का मौका दिया जाता है इसके साथ ही साथ उसे प्रचार करके लोगों के बीच में एक अच्छे लेखक के रूप में स्थापित करने का काम भी सेल्फ पब्लिकेशन हाउस करता है। सेल्फ पब्लिकेशन हाउस में हर लेखक को कम से कम 80% से लेकर 100% तक की रॉयल्टी दी जाती है उसे अपने हर किताब पर। क्योंकि सेल्फ पब्लिकेशन हाउस में पहले ही पैकेज के हिसाब से लेखकों को प्रकाशित किया जाता है जिसके बाद जितना भी उस किताब से लाभ प्राप्त होता है वह उस लेखक को ही दे दीया जाता है। साथ ही साथ लेखक को एक डैशबोर्ड भी प्रदान किया जाता है जिससे कि वह हर महीने अपने किताबों का एक लिखित ब्यौरा अपने पास देख पता है, जिसके माध्यम से वह यह जानकारी प्राप्त कर लेता है कि उसकी कितनी किताबें बिकी हैं और उन किताबों से कितने प्रतिशत रॉयल्टी मिली है। जिसे हर महीने उसके अकाउंट में सेल्फ पब्लिकेशन हाउस के माध्यम से लेखक के अकाउंट में वह सारी रॉयल्टी का पेमेंट भेज दिया जाता है।
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लेखकों को रॉयल्टी किस माध्यम से दी जाती है?
अक्सर लेखको के मन में यह सवाल आता है कि उन्हें अगर उनके किताब की रॉयल्टी सीधे मिलने वाली होती है तो किस प्रकार से दी जाएगी? तो दोस्तों हम आपको बता दें की रायल्टी के लिए आजकल डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए सीधे लेखक के अकाउंट में ही रॉयल्टी का पेमेंट पब्लिकेशन हाउस के द्वारा कर दिया जाता है। लेकिन यदि इसमें कोई दिक्कत आती है तो चेक के माध्यम से भी रॉयल्टी दी जाती है।
लेखकों को उनके किताब की रॉयल्टी कब तक मिलती है?
कई लेखक मन में यह विचार करते हैं कि उनके किताब की रॉयल्टी उन्हें कब तक मिलेगी? तो दोस्तों यह दो प्रकार का सवाल है कि कब तक रॉयल्टी मिलेगी और केवल उन्हें ही मिलेगी या उनके बाद भी मिलेगी? हम आपको बता दे की हर महीने के अंत में लेखकों को उनकी रॉयल्टी सीधे उनके अकाउंट में दे दी जाती है लेकिन साथ ही साथ लेखक को इसकी रायल्टी भविष्य में उसके ना होने पर उसके द्वारा चुने गए उसके नॉमिनी को दी जाती है। इसीलिए किताब प्रकाशित करवाने में किसी भी प्रकार से किसी भी लेखक को हानि नहीं होती है बल्कि लाभ ही होता है बस उसे ध्यान देने की आवश्यकता है कि सही पब्लिकेशन हाउस का चुनाव किस प्रकार से किया जाए।
निष्कर्ष
दोस्तों हमें आशा है कि हमारे इस कंटेंट के माध्यम से आपको रॉयल्टी के संबंध में वे सारी जानकारियां मिल चुकी है जिसकी आपको जानने की जरूरत थी। हर लेखक के लिए रॉयल्टी बहुत मायने रखता है क्योंकि उसने अपने किताब के माध्यम से अपनी एक पहचान बनाई है लेकिन फिर भी उसे कुछ तो उसकी मेहनत का फल मिलना चाहिए जिसके लिए रॉयल्टी एक अच्छा जरिया होता है। ऐसे ही और जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे वेबसाइट के साथ जुड़े रह सकते हैं।