लेखिका मन्नू भंडारी जीवन परिचय
दोस्तों कभी-कभी आपके मन में ख्याल आता होगा कि पुरुषों में बहुत सारे ऐसे लेखक और उपन्यासकार तथा कवि हैं जिनके बारे में हम जानते हैं जो अच्छा लिखते हैं लेकिन महिलाओं की गिनती में आखिर वह कौन सी स्त्री है जो महान लेखिका और कहानीकार के रूप में प्रसिद्ध हुई होंगी? तो दोस्तों आज हम उन्हें एक प्रसिद्ध लेखिका और उपन्यासकार तथा कहानीकार के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने न केवल साहित्य जगत में अपना अतुलनीय योगदान दिया है बल्कि फिल्म जगत में भी उनकी तुलना करने वाले बहुत कम लोग हैं। जी दोस्तों आज हम अपने इस लेख में आपको बताने वाले हैं मन्नू भंडारी के बारे में। जिनके बारे में आपको जानना है तो हमारा यह लेख जरूर पढ़िए।
मन्नू भंडारी कौन थीं?
मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिकाओं, उपन्यासकारों तथा कहानीकारो में से एक थीं। जिनका जन्म 3 अप्रैल 1931 में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुर गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था लेकिन इन्होंने लेखन कार्य के लिए अपना नाम मन्नू रख लिया।इनके पिता का नाम सुखसंपत राय और माता जी का नाम अनूप कुमारी था। इनका कुल पांच भाई बहनों का परिवार था। इनके पिता सुख संपतराय भंडारी स्वतंत्रता सेनानी थे जो सामाजिक कार्यकर्ता भी थे और आमदनी के जरिए के रूप में उन्होंने हिंदी और इंग्लिश तथा मराठी डिक्शनरी के निर्माता का कार्य करते थे। जिससे वह अपने परिवार को पालते थे।
मन्नू भंडारी कि शिक्षा
मन्नू भंडारी की शुरुआती शिक्षा अजमेर से शुरू हुई थी। इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री प्राप्त की। और इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी भाषा और साहित्य में M. A यानी कि मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। बनारस में मन्नू भंडारी बहुत सारे साहित्यकारों के संपर्क में आई जहां से उनका रुझान हिंदी साहित्य के लिए और भी बढ़ गया।
मन्नू भंडारी का प्रेम विवाह
मन्नू भंडारी ने M. A करने के बाद अपने निजी खर्चों को पूरा करने के लिए अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। इसके बाद कोलकाता विश्वविद्यालय में सरकारी पद पर इन्होंने अध्यापिका बनकर अध्यापन कार्य शुरू किया और इसी को अपने आजीविका का साधन बना लिया। यही कोलकाता में मन्नू भंडारी की मुलाकात हिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध कहानीकार श्री राजेंद्र यादव से होती है। जिनसे पहले तो दोनों अपनी पुस्तकों और लेखक को तथा साहित्य के विषय में चर्चा करते थे लेकिन पुस्तकों पर चर्चा करते-करते तथा उनके शौक मिलते-मिलते जाने कब दोनों के दिल मिल गए इन्हें पता भी नहीं चला।
जिसके बाद इन दोनों ने शादी करने का फैसला किया। और अपने फैसले पर अडिग रहते हुए 22 नवंबर 1959 में इन्होंने कोलकाता में ही विवाह कर लिया। इसके कुछ समय बाद यह अपने पति संग कोलकाता से दिल्ली चली आयीं। और यहीं पर इन्होंने अपनी बेटी रचना को जन्म दिया। दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध कॉलेज मिरांडा कॉलेज में बतौर प्राध्यापिका यह रिटायरमेंट तक कार्य करती रहीं।
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और 90 वर्ष की उम्र में इस महान लेखिका व उपन्यास औऱ कहानीकार की 15 नवंबर 2021 को उनकी मृत्यु हो गई।
मन्नू भंडारी का व्यावसायिक करियर
मन्नू भंडारी ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत एक हिंदी प्रोफेसर के रूप में की थी। अध्यापन कार्य को ही इन्होंने अपनी आजीविका का साधन बनाया था। जिसकी शुरुआत उन्होंने सन 1992 में कोलकाता से शुरू की थी। यहां उन्होंने सन 1961 तक बालीगंज शिक्षक सदन में कार्य किया इसके बाद उन्होंने कोलकाता के ही रानी बिरला कॉलेज में सन 1965 तक कार्य किया। इसके बाद वे शादी करके दिल्ली चली आई और दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही प्रध्यापिका पद पर रहते हुए पढ़ने का कार्य शुरू किया। और फिर 1992 से 1984 तक विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन में मन्नू भंडारीप्रेम सृजन पीठ में डायरेक्टर पद पर रिटायरमेंट तक बनी रही।
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मन्नू भंडारी कि कृतियाँ
मन्नू भंडारी 19 के दशक की एक महान लेखिका और उपन्यासकारीका के रूप में जानी जाती हैं। विशेषतः यह सन 1950 से 1960 के बीच में लिखी गई सभी रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हुई है। जिनमें उनके दो मुख्य उपन्यास में पहला है ” आपका बंटी, जिसे विवाह टूटने की त्रासदी में घुट घुट कर जी रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया है।जोकि उनके सफलता उपन्यासों में सर्वश्रेष्ठ है। और दूसरा उपन्यास है “महाभोज,, जिसमें एक आम आदमी की पीड़ा को और उसके दर्द को बेहद ही बारीकी से दर्शाया गया है। उनका यह लोकप्रिय नाटक उपन्यास बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
मन्नू भंडारी ने फिल्मी जगत के लिए भी कार्य किया है। जिनमें उनकी एक “कहानी यही सच है,, पर आधारित फिल्म ” रजनीगंधा,, सन 19 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा गई थी।
औऱ उनके पति राजेंद्र यादव के साथ उनका लिखा गया उपन्यास “एक इंच मुस्कान,, में पढ़े-लिखे लोगों और आधुनिकता को पसंद करने वाले लोगों की एक दुःख भरी प्रेमगाथा है।
मन्नू भंडारी कि कहानी:
- एक प्लेट सैलाब
- मैं हार गई
- तीन निगाहों की एक तस्वीर
- यही सच है
- त्रिशंकु
- श्रेष्ठ कहानियां
- आंखों देखा झूठ
- नायक खलनायक विदूषक
मन्नू भंडारी का उपन्यास:
- आपका बंटी
- महाभोज
- स्वामी
- 1 इंच मुस्कान
- कलवा
मन्नू भंडारी कि फ़िल्मी पट कथाएं:
- दर्पण
- निर्मला
- रजनीगंधा
- स्वामी
मन्नू भंडारी के नाटक:
- महाभोज का नाट्य रूपांतरण
- बिना दीवारों का घर
मन्नू भंडारी कि आत्मकथा:
- एक कहानी यह भी
- प्रौढ़ शिक्षा के लिए सवा शेर गेहूं
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मन्नू भंडारी कि उपलब्धयां:
लेखक निर्मल वर्मा, भीष्म साहनी, कमलेश्वर, राजेंद्र यादव जैसे दिग्गज लेखकों ने 19 के दशक की एक प्रसिद्ध लेखिका के तौर पर बताया है। मन्नू भंडारी की कलम ने नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमियों के पीड़ा और दर्द को भी लिखा है। समाज के हर तबके के लोगों को आधार बनाकर उनकी कई कहानियां और उपन्यास लिखे गए हैं जिनके लिए उन्हें अनेकों पुरस्कार दिए गए। जिनमें –
- सन 2008 में K. K बिरला फाउंडेशन की तरफ से मन्नू भंडारी को उनकी कहानी “एक कहानी यह भी,, के लिए व्यास सम्मान से पुरस्कृत किया गया। यह सम्मान केवल उन्हीं लोगों को दिया जाता है जिन्होंने हिंदी साहित्य जगत में अपना अतुलनीय योगदान दिया हो
- बिहार राज्य द्वारा भाषा परिषद पुरस्कार
- हिंदी अकादमी पुरस्कार
- महाभोज उपन्यास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हिंदी संस्थान पुरस्का
दोस्तों हमें आशा है कि मन्नू भंडारी से संबंधित वे सभी जानकारियां आपको हमारे इस लेख में मिली है जिन्हें आप जानना चाहते थे ऐसी ही और आत्मकथाएं तथा साहित्य से जुड़ी जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे दूसरे आर्टिकल्स को पढ़ सकते हैं धन्यवाद।
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