प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था और आविष्कार (Economy and Inventions of Ancient India)
प्राचीन भारत का इतिहास बेहद ही पुराना है। हम सभी प्राचीन भारत को सोने की चिड़िया के नाम से जानते हैं। इतिहास के पन्नों में भारत को विश्वगुरु यानी कि पूरे विश्व को पढ़ाने वाला शिक्षक कहा जाता था,क्योंकि भारत देश की प्राचीन अर्थव्यवस्था, राजनीति और इनके समृद्ध ज्ञान का पूरा विश्व कायल था। जब पूरी दुनिया खाने, पहनने और रहने की व्यवस्था में जुटी थी उसके सैकड़ों साल पहले ही भारत में अन्न,वस्त्र व मसालों का व्यापार होने लगा था व भारत के महापुरुषों ने बहुत से आविष्कार कर दिए थे। जिनमें आर्यभट्ट ने शून्य की खोज,सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा, वराहमिहिर का खगोलशास्त्र , शिकार व युद्ध नीति के लिए शब्दभेदी बाण व अन्य शस्त्रो के आविष्कार आदि शामिल हैं। भारतीयों ने कभी भी अपने फायदे के लिए दूसरों का नुक़सान नहीं चाहा और इसलिए हमारे प्राचीन गुरुओं ने भारत को नीतिबद्ध ढंग से विश्वगुरु बनाने के लिए एक सूत्र अपनाया। जिसके 3 पहलू क्रमशः हैं-
- ज्ञान
- ,विज्ञान और
- प्रज्ञान (तर्क +नीति= दर्शन)।
जिनके आधार पर उन्होंने देश की आर्थिक, राजनीतिक, कृषि व सांस्कृतिक व्यवस्था को मजबूत कर कई पीढ़ियों में स्थिरता लाएं।
इस सूत्र का उपयोग कुछ यूं था कि जैसे हजारों साल पहले ही भारद्वाज ऋषि को लोहे व अन्य साधनों के उपयोग से कई प्रकार के विमान बनाये जा सकते हैं का ज्ञान था किंतु किस प्रकार से कौन-सा विमान बनेगा यह उनका विज्ञान था। पर उन तरह-तरह के विमानों से प्रकृति व मानव को होने वाले लाभ से ज्यादा हानि का बोध उनका प्रज्ञान था। जिस कारण उन्होंने उस खोज को नष्ट कर दिया था। भारतीय दर्शन ने सदैव तर्क व नीति को अपनाया है। भारतीयों की इसी सोच ने भारत को उन्नति की मजबूत दिशा दी।
भारतीयों ने तन व मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए महर्षि पतंजलि के आविष्कार योग व आयुर्वेद को प्रधानता दी। गुरुकुलों में वैदिकशास्त्रों व सामाजिक शिक्षा के साथ ”करके सीखने का महत्व बताया गया।
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और इन सब से होते हुए भारत में वह दौर भी आया था जब पूरा विश्व भारत के निर्यात पर टिका था। भारत के उत्तम कोटि के मसालों,वस्त्रों व अन्य वस्तुओं का निर्यात सोने के भाव में होने लगे। जिससे कि भारत में सोने के सिक्के तक चलने लगे। भारत की इसी संपन्नता को देखते हुए विदेशियों ने कई बार आक्रमण कर भारत को लूटा।
विपन्न भारत के कारण (Reasons for poor India)
- 15 अगस्त 1947 तक भारत बंगाल व पाकिस्तान जैसे दो टुकड़ों में बंट चुका था।
- फिर चीन व पाकिस्तान से हुए युद्ध व बांग्लादेशी शरणार्थियो का आवागमन ,भारत की उपजाऊ धरती के कारण लोगो में आलसपन ने भारत की अर्थव्यवस्था को काफी हानि पहुंचाई।
- और इसी क्रम में सरकार का कृषि व किसानों पर ज्यादा ध्यान न देने के कारण गाँव की जनसंख्या शहरों की ओर पलायन करने लगी|
- अस्थायित्व के कारण लोगो में अपनी संस्कृति व संस्कारो का लोप होने लगा।
- महँगी शिक्षा आम जनता से दूर होने लगी।
- राजनीतिक भ्रष्टाचार, विज्ञान व राष्ट्र विकास की आड़ लेकर निजी स्वार्थ में प्रकृति का विनाश करना।
- चीन व अन्य देशों के सामानों का धड़ल्ले से उपयोग व मशीनीकरण ने लघु उद्योगों का विनाश कर छोटे कामगरो को बेरोजगार बना दिया।
- वैदिक शिक्षा से दूरी व अन्य कारणों ने भारत के समृद्ध ज्ञान व अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया और स्वर्णिम भारत विनाश के पथ पर तेजी से बढ़ने लगा।
आधुनिक भारत को फिर से विश्वगुरु कैसे बनाएं?(How to make modern India Vishwaguru again?)
- यदि हम भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना चाहते हैं तो पुनः उन प्राचीन तीनो सूत्रों को अपनाना होगा।
- हमें विदेशी से ज्यादा स्वदेशी सामग्रियों को अपनाना चाहिए। जिससे पुनः लघु उद्योगों का विकास हो सके। नारी की दशा में सुधार करना होगा।
- कृषि व किसान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। और साथ ही उन्हें ऐसे रोजगार के अवसर देने चाहिए जिससे उन्हें नौकरी के लिए भटकना न पड़े| इससे गाँव में स्थायित्व व संस्कृति बनी रहेगी।
- Online की दुनियां से बाहर निकल कर समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझना चाहिए।
- हमें मशीनीकरण से ज्यादा हस्त उद्योगों पर जोर देना चाहिए।
- वैदिक शिक्षा व हिंदी को विद्यालयो में अनिवार्य करना चाहिए।
- सरकार को चाहिए कि राष्ट्रहित की राजनीति करें। जिससे फालतू के दंगे न हों|
- और साथ ही सैनिकों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे कि हमारी सीमाएं सुरक्षित रहें।
भारत देश सोने की चिड़िया रहा है और केवल यह धन से नहीं बल्कि हर भारतीय नागरिकों के अंदर बसे हुए उनके हुनर ने इस देश को बहुत कुछ दिया है। इसीलिए प्राचीन समय से ही भारत कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलता है बल्कि उसने हमेशा दूसरों को कुछ दिया ही है। विश्व गुरु यानी कि विश्व को शिक्षा देने वाला देश जो की इकलौता भारत है और प्राचीन समय से रहा है।
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इसीलिए यदि हम प्राचीन समय से भारत को समझेंगे और पढ़ेंगे तो हमें गर्व होगा कि हमने भारत देश में जन्म लिया है।
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