एक किताब प्रकाशित करवाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उस किताब के लिए कोई ऐसी बेहतरीन जानकारी या कहानी या कोई मुद्दा उठाया और लिखा जाए जिससे कि अब तक आपके पाठक अनभिज्ञ रहे हों। और उस मुद्दे को सविस्तार लिखकर उसे किसी किताब या डायरी में इकट्ठा करके रखा जाए। इसके बाद उसे भविष्य में एक अच्छे किताब के रूप में प्रकाशित करवाने के लिए कुछ जरूरी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है जिसके लिए आपको मुख्यतः कुछ मुद्दों पर विशेष तौर से ध्यान देना होता है। जिसके बारे में हमने अपने इस लेख में आपको सब विस्तार से बताया है इसीलिए कृपया आप हमारे इस पोस्ट से अंत तक बने रहिए।
Dedication
आपके द्वारा लिखी गई किताब को प्रकाशित करवाने के लिए सबसे पहले ऑथर या लेखक के मन में या दिमाग में उसके लिए डेडीकेशन होना चाहिए कि उसे अपनी इस जानकारी या कहानी को एक किताब का रूप देना ही है जिसके बाद उसे समाज में लोग एक ऑथर के रूप में जान सके व उसकी एक अलग प्रतिष्ठा बन सके। किसी भी काम को करने के लिए सबसे पहले हमें एकाग्रचित होना चाहिए इसके बाद ही हम उस काम को अंजाम दे पाते हैं इसलिए एक ऑथर का अपनी किताब के लिए डेडीकेशन बहुत मायने रखता है।
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प्रकाशन गृह (Publication House)
किताब प्रकाशित करवाने के लिए सबसे पहले आपको एक अच्छे पब्लिकेशन हाउस को तलाश करने की जरूरत होती है। बिना पब्लिकेशन हाउस के भी आप अपनी किताब किंडल पर पब्लिश कर सकते हैं वह भी खुद से लेकिन आपको इतना अच्छा रिस्पांस नहीं मिलता है जितना अच्छा रिस्पांस आपको पब्लिकेशन हाउस से मिलता है। क्योंकि पब्लिकेशन हाउस में वह सारी जिम्मेदारियां बखूबी निभाई जाती है जो की एक किताब को पूरा करने में किसी भी ऑथर को देना पड़ता है। और यदि एक बार आप किसी पब्लिकेशन हाउस से अपनी किताब प्रकाशित करवाते हैं तो आजीवन के लिए वह पब्लिकेशन हाउस आपकी किताब को मेंटेन करके रखने की जिम्मेदारी रखता है। जिससे कि आपके सर पर किसी भी तरह का बोझ नहीं होता है, सारी जिम्मेदारियाँ पब्लिकेशन हाउस खुद उठाती है बस आपको उसके लिए पैसे देने पड़ते हैं पैकेज के, जिसके बाद आपको अच्छी से अच्छी सुविधा पब्लिकेशन हाउस से मिल जाती है। बस आपको इतना ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि जिस पब्लिकेशन हाउस से आप अपनी किताब प्रकाशित करवाने वाले हैं वह किसी भी प्रकार का फ्रॉड तो नहीं है इसीलिए आप सतर्कता से पब्लिकेशन हाउस की तलाश कीजिए और उसे चुनिए।
ISBN Number
एक किताब को उसका रूप देने में सबसे ज्यादा जरूरी होता है उसका ISBN number जिसके माध्यम सें उस किताब को उसका रजिस्ट्रेशन नंबर मिलता है। जिसे कि किताब के पिछले कवर पर प्रिंट किया जाता है। इस रजिस्ट्रेशन नंबर से ही किताब की पहचान की जाती है कि इस ISBN नंबर पर सिर्फ यही किताब है।
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Bar code
बारकोड के माध्यम से आपकी किताब से संबंधित सारी जानकारियां ऑनलाइन कर दी जाती हैं। जैसे कि आप कोई सामान खरीदते हैं तो उस मॉल में उस समान पर लगे हुए बारकोड से ही उसके वास्तविक मूल्य को पता कर लिया जाता है जो कि पहले से कंप्यूटर में दर्ज होता है ठीक उसी प्रकार आपकी किताब के संदर्भ में सारी जानकारियाँ ऑनलाइन कर दी जाती है जिससे कि आपकी किताब का एक रजिस्ट्रेशन नंबर है यह आपको भी ज्ञात हो जाता है।
लेखक का उसकी किताब पर अधिकार (Author Copyrights)
आप जिस भी पब्लिकेशन हाउस में अपनी किताब प्रकाशित करवाते हैं वहाँ सबसे पहले ऑथर कॉपीराइट पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। जैसा कि आप जानते हैं कि पब्लिकेशन हाउस दो प्रकार के होते हैं एक पारंपरिक प्रकाशन और दूसरा स्व प्रकाशन। पारम्परिक प्रकाशन में आपकी किताब पर ऑथर का कॉपीराइट ना हो कर के पब्लिकेशन हाउस का कॉपीराइट होता है जबकि स्व प्रकाशन या सेल्फ पब्लिकेशन हाउस में ऑथर की किताब पर ऑथर का ही कॉपीराइट होता है जिससे कि वह जब भी चाहे अपनी किताब के साथ कुछ भी कर सकता है या उसमें बदलाव कर सकता है लेकिन यदि पब्लिकेशन हाउस के पास में आपकी किताब का कॉपीराइट होता है तो आप बिना पब्लिकेशन हाउस के परमिशन के किताब में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं कर सकते हैं। इसीलिए आप जब भी अपनी किताब प्रकाशित करवाइए इस बात का जरूर ध्यान दीजिए।
E-book
किताब प्रकाशित करवाते समय आप इस बात का भी पता लगाइए कि आपकी किताब का E-book भी प्रकाशित किया जाएगा या नहीं और यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर। क्योंकि E-बुक के माध्यम से अक्सर किताबें हम सस्ते में अपने कंप्यूटर पर भी पढ़ सकते हैं या कभी भी देश में कोई आपकी किताब पढ़ना चाहता है तो उस पेपर बैक की जगह यह पीडीएफ फाइल बहुत सहायता करती हैं।
Paper Copy
हर पब्लिकेशन हाउस किताब प्रकाशित करने के बाद में आपको कुछ ऑथर कॉपी भी देता है जिसकी जानकारी आपको पहले से ही होनी चाहिए। यह ऑथर कॉपी आपको पब्लिकेशन हाउस की तरफ से आपके पैकेज में ही पहले से ऐड होता है। जिनकी संख्या आपके एग्रीमेंट में भी लिखी होती है। इसीलिए आप अपनी किताब प्रकाशित करवाने के पहले ऑथर कॉपी की गिनती आप पहले ही पूछ लीजिए जिससे कि आपको किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो।
Promotion
हर पब्लिकेशन हाउस किताब प्रकाशित करवाने के बाद अपनी तरफ से उस किताब को बढ़ावा देने के लिए या लोगों तक पहुँचाने के लिए उसका प्रमोशन करता है। और आज के वर्तमान समय में यह बहुत ही आवश्यक है क्योंकि ज्यादातर लोग ऑनलाइन ही किताबों को देखते हैं, जिसके विज्ञापन के माध्यम से ही वह आपकी किताबें खरीदना पसंद करेंगे इसीलिए आपको अपनी किताब का प्रमोशन ऑनलाइन करवाना चाहिए और जिस पब्लिकेशन हाउस से आप अपनी किताब प्रकाशित करवा रहे हैं वहाँ से पहले ही पूछ लीजिए कि किस लेवल तक आपकी किताब का प्रमोशन वो लोग करेंगे।
किताब कैसे प्रकाशित करवाएँ? व किताब प्रकाशन में कुछ सावधानियाँ
Online platforms
आपकी किताबें प्रकाशित हो जाने के बाद में किताबों को खरीदने के लिए अधिकतम पब्लिकेशन हाउस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ही अवेलेबल करवाते हैं,, इसका सबसे बड़ा कारण यह होता है कि लोग घर बैठे भी आपकी किताब को आर्डर करके अपने घर पर मंगवा कर पढ़ सकते हैं। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में Flipkart, Amazon, Kindle, cobo, Play Store और पब्लिकेशन हाउस के वेबसाइट पर किताबों को अवेलेबल करवाया जाता है।
Social Media Support
यदि आप अपनी किताब को ऊंचे स्तर तक लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं तो आपके पास सबसे अच्छा माध्यम है सोशल मीडिया सपोर्ट जिससे कि आप जन-जन तक अपनी किताब को पहुंचा सकते हैं और उसका प्रचार प्रसार कर सकते हैं। यदि आप खुद ही कर सकते हैं तो अच्छी बात है वरना हर पब्लिकेशन हाउस जो भी विश्वसनीय हो वहां से आप यह सुविधा ले सकते हैं।
निष्कर्ष- दोस्तों हमेशा है की किताब प्रकाशित करवाने के लिए जिन-जिन जानकारी की आवश्यकता होती है और सभी जानकारी को हमने अपने इस आर्टिकल में लिखा है ऐसी ही और जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे वेबसाइट से जुड़े रहिए धन्यवाद।