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रामायण और श्रीरामचरितमानस में क्या अंतर है ? – श्वेता पाण्डेय

रामायण और श्रीरामचरितमानस में क्या अंतर है? और इनके अनोखे तथ्य:

दोस्तों कई बार लोगों को यह भ्रम हो जाता है की रामायण और श्री रामचरितमानस किसने लिखा है? और यदि दोनों ही ग्रंथों में भगवान श्री राम के चरित्र का बखान किया गया है व संपूर्ण चर्चा की गई है तो इन दोनों में भेद क्या है? तो दोस्तों हम आपको अपने इस लेख में रामायण और श्री रामचरितमानस से संबंधित वह सभी तथ्य और अंतर बताने वाले हैं जिससे शायद आप अब तक अनजान थे। जानकारी को पूरी तरह प्राप्त करने के लिए पोस्ट को अंत तक पढ़े।

रामायण किसने और किस भाषा में लिखा है?

रामायण आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा लिखी गया एक महान हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसे उस समय के प्रचलित भाषा संस्कृत में लिखा गया था लेकिन वर्तमान में संस्कृत पढ़ना लोगों के लिए बहुत ही मुश्किल कार्य है । कहा जाता है कि भगवान श्री राम जी के समय में वाल्मीकि जी द्वारा अपनी तपस्या से जो घटनाएं हो गई थी और जो घटनाएं होने वाली थी भगवान श्री राम की जीवन में उन सभी का संपूर्ण चित्रांत इस रामायण नामक धार्मिक ग्रंथ में किया गया है। वर्तमान समय में रामायण की बहुत ही मुख्य भूमिका है हिंदुओं में।

रामायण कब लिखा गया था?

रामायण को आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा त्रेता युग में ही लिखा गया था यानी कि आज से हजारों साल पहले यह धार्मिक हिंदू ग्रंथ लिखा गया था। इस ग्रंथ को लिखे जाने का एकदम सटीक समय ज्ञात नहीं है फिर भी यह माना जाता है कि भगवान श्री राम के समय में यह किताब उन्हीं के जीवन पर लिखी गई थी जिसे लव कुश ने भगवान श्री राम के समक्ष गाकर प्रस्तुत किया था। यानी कि आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा लिखी गई यह रामायण भगवान श्री राम ने खुद सुनी थी इस हिसाब से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस किताब को लिखे गए हजारों साल हो गए होंगे।

श्री रामचरितमानस किसने और किस भाषा में लिखा है?

श्री रामचरितमानस नामक हिंदू धार्मिक ग्रंथ को महान कवि तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया था जिसे अवधी भाषा में लिखा गया है। तुलसीदास एक ऐसे कवि थे जिन्होंने मुगलों के समय में एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ श्री रामचरितमानस लिखी और इस किताब की वजह से उन्हें भगवान तक की उपाधि दे दी गई इसलिए माना जाता है कि तुलसीदास जी की कलम ऐसी सशक्त थी कि उन्होंने अपनी इस किताब की वजह से लोगों के बीच में काफी ख्याती पाई और इस किताब को लिखने में इतनी सतर्कता दिखाई कि इसे हिंदू धार्मिक ग्रंथ की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया इसीलिए तुलसीदास जी को तमाम कवियों का गुरु माना जाता है।

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श्री रामचरितमानस कब लिखा गया था?

श्री रामचरितमानस तुलसीदास जी द्वारा सन 1574 में रामनवमी के दिन से लिखना शुरू किया गया था। जिसमें 128म, 800 पंक्तियां हैं जो की 1,0732 और 7 खंडो में विभाजित किया गया है जिनमें सुंदरकांड सबसे सभी खंडो में सबसे छोटा खंड माना जाता है। जब तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस लिखी थी उस समय उनके पीछे काशी के कई ब्राम्हण लग गए थे क्योंकि तुलसीदास जी के ज्ञान के समक्ष दूसरे किसी को भी टिकने का मौका नहीं मिलता था इसीलिए बाकी के सभी लोग उनसे जलते थे। बताया जाता है कि जब तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस लिखी थी तो इसकी दो प्रतियाँ अपने पास रखी थी एक प्रति उन्होंने मध्यकाल के महान योद्धा टोडामल जी के पास सुरक्षित रखी थी और दूसरी अपने पास क्योंकि वह जानते थे कि कई लोग उनके इस ग्रंथ को जलाना चाहते हैं और ऐसा हुआ भी उनके द्वारा अपने पास रखी गई श्री रामचरितमानस को बाकी के काशी के पांडो ने गंगा जी में प्रवाहित कर दिया जिस बात से तुलसीदास जी बहुत दुखी हुए थे लेकिन दूसरी प्रति का सहारा लेते हुए उन्होंने भगवान के समक्ष अपनी किताब राखी और उनसे आग्रह किया कि यदि मैं कोई अच्छा काम कर रहा हूं तो आप खुद उसका प्रमाण दीजिए कई लोग बताते हैं कि भगवान श्री राम नें रात भर तुलसीदास जी द्वारा उनके मंदिर में छोड़े गए श्री रामचरितमानस पर खुद अपनी हस्ताक्षर किए थे जिसे सुबह उठते ही तुलसीदास जी ने जब देखा तो भगवान श्री राम के हस्ताक्षर उस श्री रामचरितमानस पर थे।

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रामायण और श्री रामचरितमानस में सबसे अधिक लोकप्रिय ग्रंथ कौन सा है?

आदि कवि वाल्मीकि जी द्वारा लिखित रामायण अति प्राचीन धार्मिक ग्रंथ होने के बावजूद भी तुलसीदास जी द्वारा लिखित श्री रामचरितमानस वर्तमान समय में अधिक लोकप्रिय मानी जाती है क्योंकि यह सरल भाषा में लिखी गई है जिसे लोगों द्वारा पढ़ना बहुत ही सहज और सुगम होता है। इसीलिए वर्तमान समय में जब कोई अपने घर पर रामायण रखता है तो वहां पर श्री रामचरितमानस कहीं वचन होता है क्योंकि इसे पढ़ने में लोगों को आसानी होती है। रामायण संस्कृत में लिखी गई है इसीलिए हर कोई इसे जल्दी पढ़ नहीं पाता है।

रामायण और श्री रामचरितमानस का क्या अर्थ है?

रामायण और श्री रामचरितमानस दोनों ही श्री राम भगवान के चरित्र पर लिखा गया धार्मिक ग्रंथ है लेकिन इन दोनों का अर्थ इस प्रकार से है कि-

राम + अयन = अयन का अर्थ यात्रा यानि कि राम की यात्रा कों रामायण बाल्मीकि जी नें कहा गया है।

श्री रामचरितमानस का शाब्दिक अर्थ है

श्री राम + चरित + मानस = (मानस का अर्थ है झील) (चरित का अर्थ है अच्छे कर्म) यानी कि श्री राम के अच्छे कर्मों की झील जिसे मापा न जा सके।

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 रामायण और श्री रामचरितमानस के अनोखे तथ्य:

  •  रामायण नामक हिंदू धार्मिक ग्रंथ को संस्कृत काव्य भाषा में लिखा गया है इसलिए उसे सर्ग और श्लोकों में लिखा गया है।
  •  श्री रामचरितमानस को अवधी भाषा में लिखा गया है इसीलिए उसे दोहे और चौपाइयों में लिखा गया है।
  •  रामायण और श्री रामचरितमानस में श्री रामचरितमानस ही सबसे अधिक बड़ा है।

तो दोस्तों हमें आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा ऐसी ही और जानकारी को प्राप्त करने के लिए आप हमारे दूसरे लेंखो को भी पढ़ सकते हैं।

This Post Has One Comment

  1. noodlemagaizne

    Noodlemagazine I really like reading through a post that can make men and women think. Also, thank you for allowing me to comment!

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