पिता पर कविता – श्वेता पाण्डेय – Pita Par Likhi Hindi Kavita

पिता बढ़ती उम्र और जिम्मेदारियों मे वो अपने सपनों का वज़ूद खोते हैं। औरो की तरह वे अपने इन समस्याओं पर, भला वो कब रोते हैं? देख के अपनी औलादों…

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