किताबें पढ़ने का शौक हम सभी को होता है। लेकिन कुछ लोग बहुत ज्यादा पढ़ते हैं तो कुछ लोग बहुत कम। किताबों का असर हमारी जिंदगी में हमेशा बना रहता है। फिर वह कहानी के रूप में हो, शायरी के रूप में हो या कोई विशेष जानकारी के रूप में।और इन्हीं किताबों को एकजुट करने के लिए भारत में पुस्तक मेला का आयोजन किया जाता है। लेकिन यह पुस्तक मेला है क्या? और इसका इतिहास क्या है )? के बारे में हम अपने इस लेख में आपको विस्तृत जानकारी देने वाले हैं जिसे आप ध्यान से पढ़िएगा।
विश्व पुस्तक मेला क्या है?
पुस्तक मेला नाम से ही समझ में आता है कि किताबों के मेले से संबंधित यह विषय है। यह एक ऐसी जगह होती हैं जहां पर थोक वितरण की जगह आम जनता के लिए किताबों का व्यापक रूप से एक मेला लगाया जाता है जहां पूरे विश्व भर की किताबें बेची जाती है वह भी आम जनता के लिए। इस मेले में हर तरह की, हर भाषाओं की किताबें आपको देखने को मिलती है। यह एक गैर व्यापारिक पुस्तक मेला होता है। यहां आप साहित्य से जुड़ी हर चीज पढ़ना चाहते हैं या किसी अन्य लेखकों की किताबें, हर तरह की किताबें आपको इस मेले में देखने को मिल जाती हैं।
विश्व पुस्तक मेला का इतिहास क्या है?
भारत में हुई पुस्तक मेले का आयोजन जो की कोलकाता में सबसे पहले किया गया था उसकी अपार सफलता को देखते हुए सबसे पहले 18 मार्च से 4 मार्च सन 1972 में दिल्ली के जनपद रोड के विंडसर प्लेस में विश्व पुस्तक मेला पहली बार आयोजित किया गया था। जहां पूरे भारत देश के लगभग 200 प्रकाशकों ने एक साथ भाग लिया था। इस मेले में तरह-तरह की किताबें इन प्रकाशको की बेची गई थी। और इस मेले का उद्घाटन राष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा किया गया था।
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और तब से यानी की सन 1972 से सन 2012 तक यह मेला हर 2 साल पर आयोजित किया जाता था। लेकिन सन 2012 के बाद यह मेला हर साल आयोजित किया जाने लगा। जहां विश्व भर के अलग-अलग प्रतिभागी तथा प्रकाशक एक बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। तथा उनकी किताबें इस विश्व पुस्तक मेले में बेची जाती है। शुरू में तो इस मेले में चार से पांच देश ही भाग लेते थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर लगभग 30 से 40 देश हो गई है।
कोरोना महामारी के चलते कुछ समय के लिए इस आयोजन को स्थगित कर दिया गया था लेकिन अब यह मेला विश्व पुस्तक दिवस के रूप में तथा इस साल आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में आयोजित किया गया था। जहां पर विद्यार्थी दिव्यांगों तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रवेश निशुल्क किया गया है।
पुस्तक मेला सबसे पहले कहाँ हुआ था?
पुस्तक मेला सबसे पहले कोलकाता में सन 1971 में आयोजित किया गया था वह भी एक छोटे पैमाने पर। लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए तथा इसकी सार्वजनिक मांग को देखते हुए सरकार ने दिल्ली में विश्व व्यापी पुस्तक मेले की शुरुआत सन 1972 में आम जनता के लिए शुरू की गई।
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विश्व पुस्तक मेला कौन आयोजित करवाता है?
विश्व पुस्तक मेले का आयोजन भारत में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ( National Book Trust-NBT), भारत सरकार द्वारा आयोजित करवाया जाता है। यह नेशनल बुक ट्रस्ट भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक प्रकाशन समूह है जिसकी स्थापना सन 1976 में की गई थी। जिसके द्वारा भारत में हर साल विश्व पुस्तक मेले का आयोजन करवाया जाता है। और जिसका सारा खर्च भारत सरकार उठाती है।
विश्व पुस्तक मेला क्यों करवाया जाता है?
किताबों को हमारे जीवन में सबसे मुख्य सहयोगी और मित्र माना जाता है। इसीलिए अक्सर जब भी हम कहीं किसी मसले में फंस जाते हैं किसी विशेष परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं तो किसी महापुरुष के विचार तथा उनके सिद्धांतों को पढ़ते हैं। और इसी संदेश को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा पुस्तक मेले को प्रोत्साहन दिया जाता है।
विश्व पुस्तक मेले में पूरे विश्व भर की हर तरह की किताबें आपको पढ़ने के लिए तथा खरीदने के लिए मिल जाती हैं वह भी बेहद ही आसानी से। विश्व पुस्तक मेला पुस्तकों का भंडार माना जाता है जहां पर हर तरह की किताबें आपको मिल जाती है।तथा यहां पर विश्व भर के अलग-अलग प्रकाशको तथा लेखकों को उनके किताबों को लोकार्पण करने का एक विशेष मौका मिल जाता है। और एक बड़ा और उचित मंच भी।
भारत में किन –किन राज्यों में पुस्तक मेला होता है?
भारत में सबसे पहले पुस्तक मेला कोलकाता में आयोजित किया गया था। इसके बाद से हर 2 साल पर तथा अब साल भर पर वहां पर भी यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। उसके बाद दिल्ली, इंदौर, पटना, बनारस इत्यादि शहरों में पुस्तक मेला आयोजित किया जाता है। लेकिन विश्व पुस्तक मेला इकलौता दिल्ली में ही आयोजित किया जाता है।
विश्व पुस्तक में कौन–कौन सम्मिलित होता है?
विश्व पुस्तक मेले में सामान्य से भी VIP लोग तक सम्मिलित हो सकते हैं। यहां विद्यार्थियों के लिए, सिटीजंस के लिए तथा दिव्यांगों के लिए प्रवेश निःशुल्क होता है। इस मेले में आपको एक से एक कवि, गीतकार, साहित्यकार, भाषा की जानकार तथा फिल्मी लेखक तक आपके यहां देखने को मिल जाते हैं।
कोलकाता पुस्तक मेले में दुर्घटना की कहानी–
सन 1997 में कोलकाता के पुस्तक मेले मैदान में एक बड़ी आग लगने की वजह से लगभग 1 लाख से अधिक किताबें जल गई थी और जिसमें एक आगंतुक की मौत भी हो गई थी। इसमें उसे व्यक्ति को भगदड़ के कारण दिल का दौरा पड़ गया था। इस मेले में मेले का लगभग एक तिहाई हिस्सा जल गया था जिसके बाद सरकार द्वारा मेले के सुरक्षा को बढ़ाते हुए अग्नि कानून, निर्माण कानून और मेला मैदान में खुली आग पर प्रतिबंध लगाया गया था और हर स्टॉल धरकों के लिए जीवन बीमा अनिवार्य कर दिया गया था। और ठीक इसी के बाद सन 1998 में भारी बारिश की वजह से भी किताबों का बहुत नुकसान हुआ था लेकिन बीमा होने की वजह से स्टॉल धरकों को वित्तीय क्षति नहीं हो पाई थी जिसका हर्जाना सरकार द्वारा किया गया था। इन दो बड़ी असफलताओं के बाद भी पुस्तक मेले की लोकप्रियता नहीं घटी।
तो दोस्तों हमें आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। ऐसी ही और जानकारी को पढ़ने के लिए आप हमारे दूसरे लेखकों को पढ़ सकते हैं।